पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोग नारों के बजाय ठोस मुद्दों पर आधारित एक ‘अच्छा और जिम्मेदार’ विपक्ष चाहते हैं, न कि ‘नाटक और व्यवधान’ में लिप्त विपक्ष।
नई दिल्ली

18वीं लोकसभा के पहले दिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि जहां वह और उनकी सरकार “सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे”, वहीं भारत के लोग भी चाहते हैं। “अच्छा और जिम्मेदार” विपक्ष “नारे के बजाय सार” पर आधारित है, न कि “नाटक और व्यवधान” में लिप्त।

उन्होंने संसद सत्र शुरू होने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में ये टिप्पणी की। स्पष्ट रूप से कांग्रेस पर निशाना साधते हुए, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मंगलवार को, देश तत्कालीन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाए जाने के वर्ष की 50वीं वर्षगांठ में प्रवेश करेगा। श्री मोदी ने कहा, “हमारा प्रयास होगा कि हमें ऐसे दिन फिर कभी न देखने पड़ें।”

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इस बीच, विपक्षी सांसद, महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एकत्र हुए, अब पुराने और नए संसद भवन के बीच केंद्रीय स्थान से संसद के पीछे ‘प्रेरणा स्थल’ की ओर चले गए, उन्होंने भारतीय संविधान की प्रतियां पकड़ लीं और नारे लगाए कि वे ऐसा करेंगे। इसे बचाओ। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति से लेकर एनईईटी परीक्षा के मुद्दों तक, विपक्ष और वित्त मंत्रालय इस पहले सत्र की शुरुआत से ही युद्ध की मुद्रा में हैं।

श्री मोदी ने कहा कि 18वीं लोकसभा का सत्र “देश को एक नई गति और ऊंचाई” प्रदान करने का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर था। उन्होंने कहा, “यह 2047 तक ‘श्रेष्ठ भारत’ और ‘विकसित भारत’ बनाने के सपनों और संकल्प से भरा होगा।”


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By Sourav

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